NCEL

नेशनल को-ऑपरेटिव एक्सपोर्ट लिमिटेड (NCEL)

भारत में सहकारी आंदोलन हमेशा से किसानों, श्रमिकों और छोटे उत्पादकों के लिए जीवनदायिनी शक्ति रहा है। इस आंदोलन ने जहां ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है, वहीं आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसी कड़ी में नेशनल को-ऑपरेटिव एक्सपोर्ट लिमिटेड (NCEL) की स्थापना हुई, जिसने भारतीय सहकारिता को अंतर्राष्ट्रीय बाजार से जोड़ने का कार्य किया।
इस लेख में हम विस्तार से देखेंगे कि NCEL की स्थापना कैसे हुई, अब तक इसकी उपलब्धियाँ क्या रहीं, और भविष्य की योजनाएँ किस प्रकार भारतीय निर्यात और सहकारी क्षेत्र को नई ऊँचाइयों पर ले जाएँगी।

स्थापना की पृष्ठभूमि

भारत विश्व के सबसे बड़े कृषि उत्पादक देशों में गिना जाता है, लेकिन लंबे समय तक किसानों और सहकारी संस्थाओं को वैश्विक बाजार तक पहुँचने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इस कमी को दूर करने और “सहकारिता से समृद्धि” के मंत्र को वैश्विक मंच पर स्थापित करने के लिए NCEL की स्थापना वर्ष 2022 में की गई।

👉 यह पहल भारत सरकार के मल्टी-स्टेट को-ऑपरेटिव सोसाइटीज (MSCS) एक्ट, 2002 के तहत की गई।
👉 केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में NCEL का शुभारंभ हुआ, जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
👉 इसका उद्देश्य किसानों, सहकारी समितियों, और उत्पादकों को वैश्विक व्यापार (Global Trade) से सीधे जोड़ना है।

NCEL के मुख्य उद्देश्य

  • किसानों और सहकारी समितियों के उत्पादों को विदेशी बाजारों में ब्रांडेड पहचान दिलाना।
  • कृषि, डेयरी, हस्तशिल्प, वस्त्र, फिशरी और MSME उत्पादों का संगठित निर्यात करना।
  • निर्यात प्रक्रिया में मध्यस्थों की भूमिका कम कर किसानों को सीधा लाभ पहुँचाना।
  • “मेक इन इंडिया” और “वोकल फॉर लोकल” अभियान को वैश्विक पहचान दिलाना।
  • ग्रामीण और सहकारी क्षेत्रों को विदेशी मुद्रा आय का सीधा लाभ दिलाना।

अब तक की प्रमुख उपलब्धियाँ

1. तेजी से बढ़ता निर्यात नेटवर्क

  • स्थापना के महज एक वर्ष के भीतर, NCEL ने 40 से अधिक देशों में भारतीय सहकारी उत्पादों की आपूर्ति की।
  • इसमें कृषि उत्पाद, डेयरी उत्पाद, चीनी, मसाले, चाय, कॉफी, हस्तशिल्प और वस्त्र प्रमुख हैं।
  • वर्ष 2023–24 में ही NCEL के माध्यम से लगभग ₹3,000 करोड़ का निर्यात कारोबार हुआ।

2. किसानों को सीधा लाभ

  • पहले किसानों को वैश्विक बाजार से मिलने वाले लाभ का केवल 20–30% ही हिस्सा मिलता था।
  • NCEL के प्लेटफॉर्म से अब किसानों को 60–70% तक सीधा लाभ मिल रहा है।
  • अनुमान है कि इससे लगभग 15 लाख किसानों और सहकारी सदस्यों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

3. डिजिटल निर्यात प्लेटफॉर्म

  • NCEL ने अपना ऑनलाइन B2B और B2C प्लेटफॉर्म तैयार किया है, जहाँ विदेशी खरीदार सीधे भारतीय सहकारी उत्पादकों से जुड़ सकते हैं।
  • इससे न केवल पारदर्शिता आई है, बल्कि लेन-देन की लागत भी कम हुई है।

4. ब्रांड इंडिया को वैश्विक पहचान

  • NCEL ने “Made by Cooperatives of India” नाम से एक ग्लोबल ब्रांडिंग कैंपेन शुरू किया।
  • इससे भारतीय सहकारी उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में गुणवत्ता और विश्वसनीयता की नई पहचान मिली।

आंकड़ों के साथ NCEL की प्रगति (2022–2024)

वर्षकुल निर्यात कारोबार (₹ करोड़ में)देशों की संख्याकिसानों को सीधा लाभ (₹ करोड़ में)
2022–231,20018720
2023–243,000401,800
2024–25 (अनुमानित)6,00070+4,200

भविष्य की योजनाएँ

1. वैश्विक विस्तार

  • अगले पाँच वर्षों में NCEL का लक्ष्य है कि वह 100 से अधिक देशों में भारतीय सहकारी उत्पादों की पहुँच बनाए।

2. ई-कॉमर्स एकीकरण

  • Amazon, Flipkart और विदेशी प्लेटफॉर्म जैसे eBay, Alibaba से साझेदारी कर सहकारी उत्पादों को ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय बिक्री में शामिल किया जाएगा।

3. एग्री-टेक और वैल्यू एडिशन

  • किसानों को केवल कच्चा माल बेचने के बजाय प्रोसेस्ड और वैल्यू-एडेड उत्पाद (जैसे पैकेज्ड फूड, डेयरी प्रोडक्ट्स) निर्यात करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

4. सस्टेनेबल और ऑर्गेनिक उत्पादों पर जोर

  • अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऑर्गेनिक और पर्यावरण अनुकूल उत्पादों की भारी मांग है।
  • NCEL ने ऑर्गेनिक खेती और सस्टेनेबल पैकेजिंग को प्रोत्साहन देने का लक्ष्य रखा है।

5. विदेशों में सहकारी व्यापार हब

  • दुबई, सिंगापुर, लंदन और न्यूयॉर्क जैसे प्रमुख व्यापारिक केंद्रों में “Cooperative Trade Houses” स्थापित किए जाएँगे।

नेशनल को-ऑपरेटिव एक्सपोर्ट लिमिटेड (NCEL) भारतीय सहकारिता आंदोलन का नया अध्याय है।
इसकी स्थापना ने किसानों और सहकारी समितियों को वैश्विक बाजार से जोड़कर आर्थिक समृद्धि और आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम बढ़ाया है।
आंकड़ों से साफ है कि NCEL ने कम समय में ही अद्वितीय सफलता पाई है, और भविष्य में यह भारत को वैश्विक सहकारी निर्यात का अग्रणी देश बनाने की क्षमता रखता है।