

भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (NCUI)
भूमिका
भारत में सहकारिता आंदोलन ने समाज और अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी है। सहकारिता केवल आर्थिक प्रगति का माध्यम नहीं है, बल्कि यह सामाजिक न्याय, समानता और लोकतांत्रिक भागीदारी की आधारशिला है। इस आंदोलन को संगठित करने और इसके विभिन्न पक्षों को समन्वित रूप से आगे बढ़ाने के लिए भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (National Cooperative Union of India – NCUI) की स्थापना की गई। यह संस्था सहकारी आंदोलन का शीर्ष संगठन है, जो देशभर की सहकारी समितियों को एक मंच प्रदान करता है।
स्थापना और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भारत में सहकारी आंदोलन की शुरुआत 1904 में ब्रिटिश सरकार द्वारा सहकारी ऋण समितियों अधिनियम से हुई। धीरे-धीरे सहकारी समितियों का विस्तार हुआ और 1912 में सहकारी समितियों के लिए नया कानून बना, जिसमें गैर-ऋणकारी सहकारी संस्थाओं को भी मान्यता मिली।
1947 में स्वतंत्रता के बाद यह स्पष्ट हो गया कि सहकारिता आंदोलन को मजबूत संगठनात्मक ढांचे की आवश्यकता है। इसी दृष्टिकोण से 1929 में “All India Cooperative Institutes Association” का गठन हुआ था, जो आगे चलकर 1961 में National Cooperative Union of India (NCUI) के रूप में स्थापित हुआ।
NCUI को स्थापित करने का उद्देश्य था—
- भारत के सहकारी आंदोलन को एक राष्ट्रीय छतरी संगठन देना।
- सहकारी समितियों के बीच आपसी समन्वय करना।
- सहकारी शिक्षा, प्रशिक्षण और शोध को बढ़ावा देना।
- सहकारिता के सिद्धांतों और मूल्यों को जन-जन तक पहुँचाना।
इस प्रकार, 1961 में भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (NCUI) का आधिकारिक गठन हुआ और तब से यह संगठन भारत के सहकारी आंदोलन का शीर्ष निकाय है।
संगठनात्मक संरचना
NCUI एक अर्ध-स्वायत्त संस्था है, जो सहकारिता मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत कार्य करती है। इसमें विभिन्न प्रकार की सहकारी समितियाँ सदस्य हैं – जैसे कृषि सहकारी, दुग्ध सहकारी, श्रमिक सहकारी, बैंकिंग सहकारी, आवास सहकारी, उपभोक्ता सहकारी, विपणन सहकारी आदि।
इसका सर्वोच्च निकाय जनरल बॉडी है, जिसमें सभी सदस्य संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। इसके अलावा एक गवर्निंग काउंसिल भी होती है, जो नीतिगत निर्णय लेती है।
प्रमुख उद्देश्य
NCUI के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं –
- देशभर में सहकारिता आंदोलन को बढ़ावा देना।
- सहकारी संस्थाओं के बीच सहयोग और समन्वय स्थापित करना।
- सहकारी शिक्षा और प्रशिक्षण की व्यवस्था करना।
- सहकारी आंदोलन के हितों की रक्षा करना।
- सहकारिता से संबंधित शोध कार्य और प्रकाशन करना।
- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहकारिता का प्रचार-प्रसार करना।
प्रमुख गतिविधियाँ और योजनाएँ
1. सहकारी शिक्षा और प्रशिक्षण
NCUI ने पूरे देश में Cooperative Education Field Projects (CEFP) शुरू किए हैं। इनके माध्यम से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सहकारी समितियों के सदस्यों को प्रशिक्षित किया जाता है।
- महिला सहकारी समितियों का गठन और सशक्तिकरण
- युवाओं के लिए सहकारी शिक्षा
- SC/ST और कमजोर वर्गों को सहकारिता से जोड़ना
2. राष्ट्रीय सहकारी विकास और प्रोत्साहन योजनाएँ
NCUI विभिन्न योजनाएँ चलाता है जैसे –
- Cooperative Education & Training Scheme – सहकारी प्रबंधकों, सदस्यों और नेताओं को प्रशिक्षण।
- Women Empowerment Programme – महिला सहकारी समितियों का गठन, महिला नेतृत्व का विकास।
- Youth Cooperative Development Programme – युवाओं में सहकारिता की भावना विकसित करना।
- SC/ST Cooperative Development Programme – वंचित वर्गों को सहकारी आंदोलन से जोड़ना।
3. सहकारी अनुसंधान और प्रकाशन
NCUI सहकारिता पर शोध कार्य करवाता है और समय-समय पर रिपोर्ट प्रकाशित करता है।
- “The Cooperator” नामक मासिक पत्रिका प्रकाशित की जाती है।
- सहकारिता आंदोलन के इतिहास, उपलब्धियों और चुनौतियों पर विशेष अध्ययन।
4. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
NCUI अंतर्राष्ट्रीय सहकारी संघ (ICA) और एशियाई सहकारी संघ (ACI) का सक्रिय सदस्य है।
- विदेशी सहकारी संगठनों के साथ सहयोग और अनुभव साझा करना।
- भारत में सहकारी सिद्धांतों को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप विकसित करना।
5. विशेष प्रोजेक्ट्स
- गरीब किसानों और ग्रामीण महिलाओं के लिए Micro-Credit Cooperatives
- युवाओं के लिए Skill Development & Entrepreneurship Programmes
- पर्यावरण संरक्षण और हरित सहकारिता परियोजनाएँ
अब तक की प्रमुख उपलब्धियाँ
- सहकारी शिक्षा का विस्तार – देशभर में सहकारी समितियों के सदस्यों को प्रशिक्षित करने के लिए 40 से अधिक शिक्षा फील्ड प्रोजेक्ट स्थापित किए।
- महिला सशक्तिकरण – हजारों महिला सहकारी समितियों को प्रोत्साहित किया।
- युवा सहकारिता आंदोलन – कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में सहकारी शिक्षा अभियान चलाया।
- SC/ST और कमजोर वर्गों का उत्थान – वंचित वर्गों के लिए विशेष योजनाएँ संचालित कीं।
- अंतर्राष्ट्रीय पहचान – भारत के सहकारी आंदोलन को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई।
- सहकारी संस्थाओं का नेटवर्क – लाखों सहकारी समितियों और करोड़ों सदस्यों को एक मंच पर लाने में सफलता।
- नीतिगत हस्तक्षेप – सहकारी समितियों से संबंधित सरकारी नीतियों को प्रभावित किया और सुझाव दिए।
भविष्य की दिशा
NCUI का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में –
- डिजिटल सहकारिता को बढ़ावा देना
- युवाओं को सहकारिता से जोड़ना
- ई-गवर्नेंस और ऑनलाइन सहकारी प्रबंधन लागू करना
- पर्यावरण-अनुकूल सहकारी प्रोजेक्ट्स पर ध्यान देना
- सहकारिता के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) के लक्ष्य को पूरा करना है।
भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (NCUI) ने अपनी स्थापना के बाद से भारत के सहकारी आंदोलन को दिशा, संगठन और मजबूती दी है। यह संस्था सहकारिता के सिद्धांतों को जन-जन तक पहुँचाने, सहकारी समितियों को प्रशिक्षण देने, और वंचित वर्गों को सहकारिता से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
आज आवश्यकता है कि NCUI नई चुनौतियों का सामना करते हुए डिजिटल तकनीक, पारदर्शिता और युवा सहभागिता पर अधिक ध्यान दे। तभी सहकारी आंदोलन भारत के ग्रामीण और शहरी समाज को आत्मनिर्भरता और समृद्धि की ओर ले जा सकेगा।
