
भारत में सहकारिता आंदोलन ने हमेशा समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक आर्थिक और सामाजिक संसाधनों की पहुँच सुनिश्चित करने में अग्रणी भूमिका निभाई है। सहकारी बैंकिंग क्षेत्र, खासकर शहरी सहकारी बैंक (Urban Cooperative Banks – UCBs) और क्रेडिट सोसाइटीज़, देश की आर्थिक संरचना का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
इन्हीं संस्थाओं के लिए एक राष्ट्रीय स्तर का साझा मंच उपलब्ध कराने और उनके हितों की रक्षा करने के उद्देश्य से National Federation of Urban Cooperative Banks & Credit Societies Ltd. (NAFCAB) की स्थापना की गई।
NAFCAB आज न केवल सहकारी बैंकों की नीतिगत आवाज़ है, बल्कि यह संगठन उनकी तकनीकी, प्रबंधकीय और आर्थिक मजबूती का भी आधार बन चुका है।
स्थापना की पृष्ठभूमि और इतिहास
1970 के दशक तक शहरी सहकारी बैंकों और क्रेडिट सोसाइटीज़ की संख्या तेज़ी से बढ़ रही थी।
- इन बैंकों को ग्राहकों का विश्वास तो मिला, लेकिन नियामक असमानताओं, संसाधनों की कमी और तकनीकी पिछड़ेपन ने उनकी गति को प्रभावित किया।
- बैंकों के पास अपनी बात राष्ट्रीय स्तर पर रखने का कोई मज़बूत मंच नहीं था।
- इन परिस्थितियों को देखते हुए 17 फरवरी 1977 को Multi-State Cooperative Societies Act के तहत NAFCAB का गठन हुआ।
नई दिल्ली में स्थित मुख्यालय से NAFCAB ने देशभर के शहरी सहकारी बैंकों और ऋण समितियों को जोड़कर एक नई ऊर्जा दी। आज यह संगठन 1,600 से अधिक शहरी सहकारी बैंकों और 50,000 से अधिक क्रेडिट सोसाइटीज़ का प्रतिनिधित्व करता है।
उद्देश्य और मिशन
NAFCAB का मिशन और उद्देश्य बहुत स्पष्ट है—
- हितों की रक्षा – सहकारी बैंकों और समितियों की आवाज़ को सरकार और नियामक संस्थाओं तक पहुँचाना।
- नीतिगत सुधार – ऐसे सुझाव देना जिससे शहरी सहकारी बैंक प्रतिस्पर्धा और तकनीकी बदलावों के साथ तालमेल बैठा सकें।
- आधुनिकीकरण – सहकारी बैंकों को डिजिटल बैंकिंग, CBS और नई तकनीकों से जोड़ना।
- प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण – बैंक प्रबंधन और कर्मचारियों के लिए ट्रेनिंग और कार्यशालाओं का आयोजन।
- वित्तीय समावेशन – किसानों, महिलाओं, छोटे व्यापारियों और युवाओं को वित्तीय सहयोग और बैंकिंग सुविधाएँ उपलब्ध कराना।
प्रमुख उपलब्धियाँ
1. राष्ट्रीय स्तर पर पहचान
NAFCAB ने सहकारी बैंकों को सिर्फ़ एक छोटे वित्तीय संस्थान की छवि से निकालकर उन्हें राष्ट्रीय बैंकिंग संरचना का हिस्सा बनाया।
2. नीतिगत सुधार
- RBI में Standing Advisory Committee में NAFCAB की भागीदारी सुनिश्चित हुई।
- शाखा खोलने के नियमों में लचीलापन आया।
- SLR निवेश नीति में सुधार हुए।
3. डिजिटल बैंकिंग और CBS
छोटे शहरी सहकारी बैंकों को Core Banking Solution (CBS) से जोड़ने में NAFCAB ने बड़ी भूमिका निभाई। इससे ग्राहकों को ऑनलाइन लेन-देन और आधुनिक बैंकिंग सुविधाएँ मिलने लगीं।
4. प्रकाशन और ज्ञानवर्धन
NAFCAB ने “Urban Credit” (त्रैमासिक पत्रिका) और “Coop Banking” (साप्ताहिक पत्रिका) प्रकाशित कीं, जिनसे बैंक प्रबंधन और कर्मचारियों को नई जानकारियाँ और नीतिगत अपडेट मिलते रहे।
5. प्रशिक्षण और अध्ययन यात्राएँ
कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षण, कार्यशालाएँ और अध्ययन यात्राएँ आयोजित की गईं।
6. वित्तीय समावेशन और सामाजिक भूमिका
- किसानों को ऋण और बीमा योजनाओं से जोड़ना।
- महिला स्वयं सहायता समूहों को सहयोग देना।
- युवाओं के लिए उद्यमिता ऋण योजनाएँ शुरू करना।
वर्तमान योजनाएँ और पहल
- डिजिटल सहकारिता अभियान
सभी सहकारी बैंकों को डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर लाने और ग्राहकों को मोबाइल बैंकिंग, इंटरनेट बैंकिंग जैसी सेवाएँ उपलब्ध कराने की पहल। - महिला सशक्तिकरण योजना
महिलाओं को वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए विशेष ऋण और वित्तीय सहयोग कार्यक्रम। - किसान हित योजना
फसल ऋण, बीमा योजनाएँ और किसानों को बाज़ार से जोड़ने की पहल। - युवा उद्यमिता योजना
स्टार्टअप और छोटे कारोबार शुरू करने वाले युवाओं को वित्तीय सहयोग और मार्गदर्शन। - वित्तीय साक्षरता अभियान
ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में आमजन को बैंकिंग और निवेश की जानकारी देना। - Umbrella Organization (NUCFDC)
एक राष्ट्रीय स्तर की डिजिटल और वित्तीय सहायता संस्था का निर्माण, जो शहरी सहकारी बैंकों के लिए डिजिटल रीढ़ का काम करेगी।
चुनौतियाँ
- डिजिटल युग में बड़े वाणिज्यिक बैंकों से प्रतिस्पर्धा।
- संसाधनों की कमी और सीमित पूँजी।
- ग्रामीण और अर्धशहरी क्षेत्रों में तकनीकी पहुँच की कमी।
- ग्राहकों में वित्तीय साक्षरता की कमी।
भविष्य की दिशा
आने वाले वर्षों में NAFCAB का लक्ष्य है:
- 100% डिजिटल बैंकिंग को सहकारी बैंकों में लागू करना।
- वैश्विक स्तर पर सहकारी मॉडल से जुड़कर अनुभव साझा करना।
- ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में 100% वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करना।
- सहकारी बैंकों को आत्मनिर्भर और आधुनिक वित्तीय संस्थान के रूप में स्थापित करना।
NAFCAB की स्थापना से लेकर अब तक की यात्रा इस बात का प्रमाण है कि यदि संस्थाओं को सही दिशा और नेतृत्व मिले, तो वे समाज की नींव को मजबूत बना सकती हैं।
आज NAFCAB न केवल सहकारी बैंकों का संरक्षक है, बल्कि उन्हें आधुनिक युग के अनुकूल बनाने वाला मार्गदर्शक भी है। किसानों, महिलाओं, युवाओं और छोटे व्यापारियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में इसकी भूमिका ऐतिहासिक है। आने वाले समय में यह संगठन सहकारिता आंदोलन को और नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा।
