
राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC)
भारत की सहकारी आंदोलन की मज़बूती और विकास में कई संस्थाओं ने अहम योगदान दिया है। इन्हीं में से एक है राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC), जो सहकारिता क्षेत्र के विकास और मज़बूती के लिए वित्तीय सहायता और योजनाओं का संचालन करता है। 1963 में स्थापित इस निगम ने पिछले छह दशकों में कृषि, डेयरी, बागवानी, वस्त्र, ग्रामीण उद्योगों और महिला स्व-सहायता समूहों तक को मजबूत किया है।
NCDC की स्थापना कैसे हुई?
1960 के दशक की शुरुआत में भारत की कृषि व्यवस्था और ग्रामीण विकास को मज़बूत करने की आवश्यकता महसूस हुई। सहकारी समितियों को वित्तीय सहायता और तकनीकी मार्गदर्शन देने के लिए एक विशेष संगठन की आवश्यकता थी। इसी दृष्टिकोण से राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम अधिनियम, 1962 संसद में पारित हुआ और 13 मार्च 1963 को NCDC की स्थापना हुई।
यह संगठन सीधे केंद्र सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अधीन कार्य करता है और इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
NCDC के मुख्य उद्देश्य
NCDC का लक्ष्य केवल वित्तीय सहायता देना ही नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर और टिकाऊ बनाना है। इसके प्रमुख उद्देश्य हैं:
- सहकारी समितियों और महासंघों को वित्तीय सहायता प्रदान करना।
- कृषि एवं ग्रामीण उद्योगों का आधुनिकीकरण।
- किसानों को विपणन, भंडारण और प्रसंस्करण की सुविधा उपलब्ध कराना।
- डेयरी, मत्स्य पालन, बागवानी और पशुपालन क्षेत्र का विकास।
- महिला और युवा सहकारी समितियों को प्रोत्साहन।
- डिजिटलाइजेशन और आधुनिक प्रौद्योगिकी को सहकारिता क्षेत्र से जोड़ना।
अब तक की प्रमुख उपलब्धियाँ
60 वर्षों से अधिक की यात्रा में NCDC ने कई उपलब्धियाँ हासिल की हैं:
- वित्तीय सहयोग
- अब तक करोड़ों किसानों और सहकारी समितियों को लाखों करोड़ रुपये की सहायता दी जा चुकी है।
- लगभग हर राज्य में सहकारी समितियों को इससे लाभ मिला है।
- कृषि एवं डेयरी क्षेत्र का विकास
- NCDC ने डेयरी और दुग्ध सहकारिता में “श्वेत क्रांति” को मज़बूत किया।
- लाखों लीटर दूध के संग्रहण और प्रसंस्करण में सहकारी समितियों को सहयोग दिया।
- मार्केटिंग और भंडारण
- सहकारी समितियों के लिए बड़े-बड़े गोदाम और कोल्ड स्टोरेज स्थापित किए।
- किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके, इसके लिए विपणन सुविधाएँ विकसित कीं।
- महिला सशक्तिकरण
- महिला सहकारी समितियों को विशेष योजनाओं से जोड़कर स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया।
- डिजिटल पहल
- सहकारी समितियों में डिजिटल भुगतान, ऑनलाइन पोर्टल और ई–मार्केटिंग को बढ़ावा दिया।
NCDC की प्रमुख योजनाएँ और कार्यक्रम
NCDC ने विभिन्न क्षेत्रों के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं। इनमें से प्रमुख हैं:
- युवा सहकार: युवाओं को सहकारिता से जोड़कर रोजगार सृजन।
- आयुष्मान सहकार: ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं में सहकारी संस्थाओं की भागीदारी।
- फूड प्रोसेसिंग सहकार: कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन में सहयोग।
- वित्तीय सहायता योजना: सहकारी समितियों को ऋण और अनुदान उपलब्ध कराना।
- ग्रीन एनर्जी पहल: सहकारी समितियों को सौर ऊर्जा और बायोगैस जैसे स्रोतों से जोड़ना।
- महिला सहकार: महिला स्व-सहायता समूहों के लिए विशेष वित्तीय सहयोग।
भविष्य की दिशा
NCDC का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में:
- अधिक से अधिक सहकारी समितियों को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ा जाए।
- किसानों को सीधे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाज़ार से जोड़ा जाए।
- जैविक खेती, ई-कॉमर्स और स्मार्ट तकनीक का प्रयोग बढ़ाया जाए।
- स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में सहकारिता को और गहराई तक पहुँचाया जाए।
राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) भारत की सहकारिता की आत्मा है। इसकी योजनाओं और उपलब्धियों ने लाखों किसानों, महिलाओं और युवाओं को आत्मनिर्भर बनाया है। सहकारी समितियाँ आज भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन चुकी हैं और इसमें NCDC की भूमिका अतुलनीय है।
